Tuesday, April 23, 2019

देवानंद से उर्मिला तक: कहानी पूरी फ़िल्मी है

उस वक़्त के बंबई में ताजमहल होटल में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुई. वो इंदिरा गांधी की लगाई इमरजेंसी के बाद वाला दौर था जब जनता पार्टी का प्रयोग भी विफल हो चुका था.

दोनों पक्षों से नाराज़ कुछ लोगों ने मिलकर नए राजनीतिक दल 'नेशनल पार्टी' बनाने की घोषणा की. इस पार्टी के अध्यक्ष थे देव आनंद.

पार्टी के 16 पन्नों वाले घोषणा पत्र में कहा गया, "इंदिरा की तानाशाही से त्रस्त लोगों ने जनता पार्टी को चुना, लेकिन निराशा हाथ लगी. अब यह दल भी टूट चुका है. ज़रूरत है, एक स्थायी सरकार दे सकने वाली पार्टी की, जो थर्ड आल्टरनेटिव दे सके. नेशनल पार्टी वह मंच है जहां समान विचार वाले लोग साथ आ सकते हैं."

इस पार्टी में वी शांताराम, विजय आनंद, आईएस जौहर, जीपी सिप्पी समेत कई फ़िल्मी हस्तियां जुड़ गईं. पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया, रैलियां शुरूं हो गईं, भीड़ जुटने लगी. लेकिन धीरे-धीरे ये बात फैलने लगी कि फ़िल्म उद्योग के लोगों को इसका नुक़सान बाद में उठाना पड़ेगा.

एक-एक कर ज़्यादातर लोगों ने साथ छोड़ दिया. इस तरह देव आनंद का राजनीतिक सपना और पार्टी दोनों ख़त्म हो गई. लेकिन फ़िल्मी हस्तियों और राजनीति का ये पहला और आख़िरी मेल नहीं था. आज़ादी के पहले से ही कलाकारों का भारतीय राजनीति से नाता रहा है.

80 के दशक में ही एक ऐसी राजनीतिक घटना हुई, जिसने फ़िल्मी दुनिया को भी प्रभावित किया. वो थी अक्टूबर, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या. दिसंबर 1984 में चुनाव होने थे. राजीव गांधी ने अपने दोस्त और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और सुनील दत्त से चुनाव लड़ने के लिए कहा.

सुनील दत्त 1984 में चुनाव जीत गए और सांसद बनने के बाद 2005 में मरते दम तक कांग्रेस में ही रहे, भले ही पार्टी से उनका मन मुटाव भी हुआ.

जब सुनील दत्त ने चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया तो दिसंबर 1984 में घर में एक तरफ़ बेटी नम्रता दत्त और कुमार गौरव की शादी की तैयारियां चल रही थीं तो दूसरी ओर चुनाव अभियान की.

सुनील दत्त उन चंद हिंदी फ़िल्मी सितारों में से थे जो केंद्र में मंत्री भी बने और बतौर राजनेता उनकी बहुत इज़्ज़त थी. 2004 में पांचवी बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले सुनील दत्त को खेल और युवा कल्याण मंत्री बनाया गया.

1984 में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का इलाहाबाद से हेमवती नंदन बहुगुणा से चुनाव लड़ना उस समय की सबसे बड़ी ख़बर थी.

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई अपनी किताब 'नेता अभिनेता' में लिखते हैं, "बहुगुणा क़द्दावर नेता थे. वो चुनाव प्रचार में अमिताभ को 'नौसिखिया', और 'नचनिया' बोलते थे. ये जया बच्चन ही थीं जिन्होंने अमिताभ के प्रचार अभियान में जान फूंकी और चुनाव जितवाया."

लेकिन राजनीति ने ऐसी करवट ली कि बोफ़ोर्स घोटाले में नाम आने के बाद सांसद अमिताभ का राजनीति से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी. साथ ही उनकी गांधी परिवार से दूरी भी बढ़ने लगी. उसके बाद से अमिताभ बच्चन ने कभी सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लिया.

अमिताभ बच्चन अकेले सुपरस्टार नहीं थी जिन्होंने राजनीति में किस्मत आज़माई. 1991 के चुनाव के समय अमिताभ फ़िल्मों और राजनीति दोनों से दूर हो चुके थे. ये लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अहम था.

उस समय राजीव गांधी ने राजेश खन्ना से नई दिल्ली में लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए आग्रह किया. ये महज़ संयोग था कि कभी राजेश खन्ना और अमिताभ एक तरह से प्रतिदंद्वी ही थे और बच्चन के बाद कांग्रेस से राजेश खन्ना चुनाव लड़ रहे थे. 1991 के चुनाव में राजेश खन्ना आडवाणी से सिर्फ़ 1,589 वोटों से हारे थे.

1991 की वो फ़ोटो ख़ासी चर्चित है जिसमें राजीव और सोनिया गांधी दिल्ली में निर्माण भवन चुनावी स्टेशन पर राजेश खन्ना को वोट डालने के लिए खड़े हैं. उनके पीछे राजेश खन्ना भी हैं.

राशिद किदवई अपनी किताब में लिखते हैं कि सार्वजनिक जीवन की ये राजीव गांधी की आख़िरी तस्वीर थी . इसके कुछ घंटों बाद एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई और 21 मई को राजेश खन्ना के साथ उनकी ये तस्वीर छपी.

जब 1992 में उपचुनाव हुआ तो राजेश खन्ना फिर नई दिल्ली से लड़े. उन्होंने अपने दोस्त और भाजपा में शामिल हो चुके शत्रुघ्न सिन्हा को हराया. शत्रुघ्न सिन्हा उन शुरुआती हिंदी कलाकारों में से थे जिन्होंने कांग्रेस के बजाय किसी विपक्षी दल के ज़रिए राजनीति में कदम रखा.

इमरजेंसी के दौरान वो जेपी से प्रभावित थे. लेकिन 90 के दशक में उन्होंने भाजपा का दामन थामा. राजेश खन्ना से वो लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन आडवाणी-वाजपयी के वो काफ़ी करीब थे.

शत्रुघ्न शायद पहले हिंदी फ़िल्मी सितारे थे जो केंद्रीय मंत्री बने (2003-04) और कई बार सांसद भी. हालांकि मोदी शासन के बाद से शत्रु्घ्न अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़े हुए थे. ये समय का चक्र ही है कि कभी इमरजेंसी का विरोध करने वाले शत्रुघ्न 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए.

Wednesday, April 17, 2019

फॉर्म-16 में बदलाव हुआ, वेतन के अलावा भत्तों और दूसरे स्त्रोतों से आय भी बतानी होगी

नई दिल्ली. आयकर विभाग ने फॉर्म-16 के फॉर्मेट में बदलाव किया है। यह फॉर्म जारी करने वाले (नियोक्ता) को अब इसमें कर्मचारी के बारे में ज्यादा जानकारियां देनी होंगी। कर्मचारी की प्रॉपर्टी से हुई कमाई, उसे दूसरे नियोक्ताओं की ओर से मिले भुगतान की डिटेल अब फॉर्म-16 में दी जाएगी। इससे आयकर विभाग को टैक्स चोरी की जांच में मदद मिलेगी।

किस मद में कितनी कटौती हुई, यह बताना पड़ेगा
नए फॉर्म-16 में अलग-अलग टैक्स सेविंग्स स्कीम के तहत किए गए निवेश, उससे जुड़ी कटौतियां, कर्मचारी को मिले अलग-अलग भत्तों और दूसरे स्त्रोतों से हुई आय का ब्यौरा भी शामिल होगा।

आयकर विभाग द्वारा संशोधित फॉर्म-16 इसी साल 12 मई से प्रभावी हो जाएगा। यानी वित्त वर्ष 2018-19 का रिटर्न संशोधित फॉर्म के आधार पर भी भरना होगा।

नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिए वित्त वर्ष खत्म होने के बाद फॉर्म-16 जारी करते हैं। इसमें कर्मचारियों के टीडीएस की जानकारी होती है। फॉर्म-16 के आधार पर ही कर्मचारी अपना आयकर रिटर्न भरते हैं। नियोक्ता आमतौर पर जून में फॉर्म-16 जारी करते हैं।

फॉर्म-16 में बदलाव का असर क्या होगा ?
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की इंदौर ब्रांच के चेयरमैन पंकज शाह के मुताबिक रिटर्न फाइलिंग के स्टैंडर्डाइजेशन के लिए फॉर्म-16 में बदलाव किया गया है। कई बार फॉर्म-16 और रिटर्न फाइलिंग के आंकड़ों में फर्क देखा जाता है। लेकिन, फॉर्म-16 में कर्मचारी के निवेश और आय की सभी जानकारियां होंगी तो ऐसा नहीं होगा। जिन अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है वो मिलती रहेगी लेकिन नियोक्ता को सभी मदों में की जाने वाली कटौती का पूरा ब्यौरा फॉर्म-16 में देना होगा। शाह के मुताबिक इन अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है-

सवाल- सीटीसी के अलावा दूसरे भत्ते जैसे मोबाइल का अलाउंस आदि टैक्सेबल इनकम में माने जाएंगे ?

एक्सपर्ट का जवाब- मोबाइल अलाउंस पर टैक्स छूट नहीं मिलती, जिन अलाउंस पर छूट मिलती है उन्हीं को क्लेम कर पाएंगे

सवाल- कर्मचारी ने टैक्स में छूट लेने के लिए 1 लाख रुपए का निवेश किया लेकिन नियोक्ता को फाइनल डिक्लेरेशन देने के वक्त 70 हजार के सूबत पेश कर पाया तो क्या रिटर्न फाइल करते वक्त बाकी 30 हजार पर क्लेम कर पाएगा?

एक्सपर्ट का जवाब- कर्मचारी पहले की तरह अब भी ऐसा कर सकेंगे। निवेश वास्तविक होना चाहिए। जांच के दायरे में आए तो आयकर विभाग सबूत मांग सकता है।

फॉर्म 24 क्यू में भी बदलाव
नियोक्ता आयकर विभाग को यह फॉर्म देता है। इसमें अब उन गैर-संस्थागत इकाइयों का पैन नंबर भी बताना होगा जहां से कर्मचारी ने घर खरीदने या बनाने के लिए लोन लिया है।

31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना है
इनकम टैक्स विभाग वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर चुका है। सैलरीड के अलावा ऐसे लोग जिनके खातों का ऑडिट नहीं होना है उन्हें 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना है।

Wednesday, April 10, 2019

रफ़ाल मामले में सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को झटका

रफ़ाल मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को झटका लगा है. कोर्ट ने इस मामले में सरकार की शुरूआती आपत्ति को ख़ारिज कर दिया है.

सरकार ने मामले में पहले सुनाए गए फै़सले को बनाए रखने और पुनर्विचार याचिका ख़ारिज करने की बात कही थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है.

मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ़ शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले अपने फ़ैसले में रफ़ाल सौदे की जांच करने की अपील को ख़ारिज कर दिया था.

उसके बाद अरुण शौरी और प्रशांत भूषण समेत कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

उस समय सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दो ख़ास बातें कहीं थीं.

सरकार का कहना था कि अदालत में पेश किए दस्तावेज़ चोरी के हैं, इसलिए अदालत को उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
सरकार की दूसरी दलील थी कि ये दस्तावेज़ प्रीविलेज्ड यानी गोपनीय हैं और इन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है.
लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए सरकार की इन दोनों दलील को ख़ारिज कर दिया.

पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों में से शामिल अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर कहा, "तीन जजों ने एकमत से यह फ़ैसला दिया है. उन्होंने सरकार की उस दलील को ख़ारिज कर दिया है जिसमें यह कहा गया है कि इन दस्तावेज़ों को माना नहीं जा सकता है क्योंकि ये चोरी के दस्तावेज हैं."

उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख़ तय करेगा और इसकी सुनवाई मेरिट के आधार पर की जाएगी.

अरुण शौरी ने कहा कि यह हमारे लिए एक मौक़े की तरह है जो बहस को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

11 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव होने वाला है. ऐसे में ये फ़ैसला सरकार के लिए झटका ज़रूर है लेकिन मतदाताओं पर इसका कोई असर होगा या नहीं ये कहना मुश्किल है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद राजनीतिक गलियारों से प्रतिक्रिया आने लगी है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी से अपना पर्चा भरने के बाद संवाददाताओं से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से यह साबित हो गया है कि रफ़ाल डील में गड़बड़ी हुई है.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक बहस की चुनौती दी है. राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी भ्रष्टाचार पर उनके साथ बहस करने से डर रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहे कितना भी चाह लें, वो सच्चाई से भाग नहीं सकते हैं और अब वो गोपनीयता कानून की आड़ में बच नहीं सकते हैं.

उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, "अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोदीजी अपने भ्रष्टाचार के सबूतों को गोपनीयता कानून का हवाला देकर नहीं छिपा सकते हैं."

उन्होंने ट्वीट भी किया है, "रफ़ाल मामले को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्र पत्रकारों के ख़िलाफ़ गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने की धमकी दी थी."

वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस फ़ैसले के बाद मोदी सरकार को घेरा है.

उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में गड़बड़ी को छिपा नहीं सकते हैं.

मायावती ने कहा है, "संसद के भीतर और बाहर बार-बार झूठ बोलकर देश को गुमराह करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माफी मांगें और रक्षा मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए."

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर जगह कह रहे थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से रफ़ाल में क्लीन चिट मिली है."

उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से यह साबित होता है कि रफ़ाल मामले में गड़बड़ी हुई है.

केजरीवाल ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने देश की सेना से धोखा किया है और अपना जुर्म छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया."

Tuesday, April 2, 2019

5 प्रमुख वादे: किसानों का अलग बजट लाएंगे, कृषि कर्ज के डिफॉल्टरों पर फौजदारी केस नहीं होगा

नई दिल्ली. कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी किया। इसे जन आवाज नाम दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैनिफेस्टो में 5 प्रमुख वादे किए गए हैं। किसानों के लिए अलग बजट लाया जाएगा। साथ ही कृषि कर्ज के डिफॉल्टरों पर फौजदारी (क्रिमिनल) मामला दर्ज नहीं होगा। राहुल ने 'गरीबी पर वार, 72 हजार' का नारा भी दिया।

राहुल ने कहा, "हम अपना मैनिफेस्टो रिलीज कर रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए बड़ा कदम है। पिछले साल जब हमने यह शुरू किया था, तब मैंने चिदंबरम जी को दो चीजें कही थीं। मैंने उन्हें कहा था कि यह बंद कमरों में बनने वाली चीजें नहीं हैं। यह बिल्कुल सच्चा होना चाहिए। हम पिछले काफी समय से झूठ सुन रहे हैं, वो भी अपने प्रधानमंत्री से। जब हम मैनिफेस्टो के बारे में बात करते हैं या न्याय के बारे में बोलते हैं तो जनता से एक रिस्पॉन्स मिलता है।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया, "हमारा निशान पंजा है और घोषणापत्र में हम पांच बड़े वादे कर रहे हैं। विश्वास कीजिए, जिस तरह हमने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में वादे के मुताबिक 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ किया, ठीक इसी प्रकार ये वादे भी पूरा करेंगे। मैं झूठे वादे नहीं करता।"

5 वादे

1. न्याय

पहली थीम न्याय की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 लाख रुपए अकाउंट में डालेंगे। वो झूठ था। हमने उनकी बात पकड़ी और मैनिफेस्टो कमेटी से पूछा कि हिंदुस्तान की जनता के अकाउंट में कांग्रेस कितना पैसा डाल सकती है। उन्होंने मुझे 72 हजार नंबर दिया। गरीबी पर वार 72 हजार। एक साल में 72 हजार कांग्रेस पार्टी गरीबों के अकाउंट में सीधा डालेगी। एक साल में 72 हजार और पांच साल में 3 लाख 60 हजार। मोदीजी ने नोटबंदी और जीएसटी से जो अर्थव्यवस्था जाम की है, उसे हम वापस पटरी पर लाएंगे।

2. रोजगार
दूसरा- चिदंबरम जी ने कहा कि दो बड़े मुद्दे हैं रोजगार और किसान। 22 लाख सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं। उन्हें कांग्रेस पार्टी मार्च 2020 तक भर देगी। 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायत में कांग्रेस नौकरी देगी। मेक इन इंडिया की दुनिया में आप बिजनेस खोलना चाहते हैं। तीन साल के लिए युवाओं को बिजनेस के लिए कोई परमिशन नहीं लेनी होगी। आप लोगों को रोजगार देंगे। कांग्रेस इसके लिए दरवाजे खोलेगी।

3. किसान
हम मनरेगा में रोजगार के 150 दिन पक्के करना चाहते हैं। हमारे हिसाब से किसानों का एक अलग बजट होना चाहिए। किसानों को मालूम होना चाहिए कि उनके लिए कितना बजट दिया जाएगा और उन्हें कितना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।

नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग लोगों का पैसा लेकर भाग जाते हैं। किसान अगर बैंकों का पैसा नहीं दे पाते तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। हमने फैसला किया है कि अगर किसान पैसा न लौटा पाए तो वो क्रिमिनल ऑफेंस नहीं सिविल ऑफेंस हो।

4. शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में हमने निर्णय लिया है कि जीडीपी का 6% पैसा देश की शिक्षा में दिया जाए। आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों को हम सबकी पहुंच में बनाना चाहते हैं। मोदी सरकार ने उसे हमेशा कम किया है।

5. हेल्थ सेक्टर
हेल्थ सेक्टर में मोदी सरकार एक योजना लाई है। इंश्योरेंस का पैसा प्राइवेट अस्पतालों की जेब में डाले जाएं। हम सरकारी व्यवस्थाओं को मजबूत करने का काम करेंगे। हम तय करेंगे कि गरीबों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं मिलें।

'राफेल डील की जांच होगी'

इस बीच घोषणापत्र समिति के सदस्य बालचंद्र मुंगेकर ने कहा, "कांग्रेस के सत्ता में आने पर पहले ही दिन राफेल डील पर जांच बैठाई जाएगी। इसे भी मैनिफेस्टो में शामिल किया गया है।"

चिदंबरम की अध्यक्षता में बनी थी कमेटी
घोषणापत्र तैयार करने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। इस बार सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है। मोदी सरकार के कार्यकाल में 4 करोड़ 70 लाख लोगों की नौकरियां गईं। घोषणापत्र तैयार करने के लिए पूरे देश से 1 लाख 60 हजार सुझाव आए।

घोषणापत्र समिति के संयोजक राजीव गौड़ा ने बताया कि घोषणापत्र बनाने के लिए हमने 20 सबकमेटी बनाईं। हमने 24 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 60 लोकेशन कवर कीं। हमने एनआरआई से भी संपर्क किया। 12 देशों के एनआरआई से सलाह ली। कुल 121 पब्लिक कंसल्टेशन ली गईं।

भाजपा दिल्ली के लिए अलग से घोषणापत्र जारी करेगी
भाजपा की दिल्ली इकाई ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए अलग से घोषणापत्र जारी किया जाएगा। इसमें स्थानीय मुद्दों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली के भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी के मुताबिक- घोषणापत्र बनाने को लेकर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है लेकिन इसमें दिल्ली को प्रदूषणमुक्त बनाने और यमुना नदी की सफाई जैसे मुद्दे शामिल किए जाएंगे।

मनोज ने कहा कि इस घोषणापत्र में केजरीवाल सरकार के उन वादों का भी जिक्र किया जाएगा जो पूरे नहीं किए गए। मौजूदा राज्य सरकार ने दिल्ली को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए कोई काम नहीं किया और कई योजनाओं के लिए पैसा देना बंद कर दिया।

独家对话王广发:国内疫情的反弹风险点在哪?

  中新网北京4月20日电(杨雨奇)绥芬河口岸告急 4月中旬, 色情性&肛交集合 全球多个疫苗团队 色情性&肛交集合 宣布取得进展的同时, 色情性&肛交集合 中国宣布第一波疫情已经得到控制, 色情性&肛交集合 中国在全球的新冠研究 色情性&肛交集合 的临床试验立项占比从 色情性...