Tuesday, April 23, 2019

देवानंद से उर्मिला तक: कहानी पूरी फ़िल्मी है

उस वक़्त के बंबई में ताजमहल होटल में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुई. वो इंदिरा गांधी की लगाई इमरजेंसी के बाद वाला दौर था जब जनता पार्टी का प्रयोग भी विफल हो चुका था.

दोनों पक्षों से नाराज़ कुछ लोगों ने मिलकर नए राजनीतिक दल 'नेशनल पार्टी' बनाने की घोषणा की. इस पार्टी के अध्यक्ष थे देव आनंद.

पार्टी के 16 पन्नों वाले घोषणा पत्र में कहा गया, "इंदिरा की तानाशाही से त्रस्त लोगों ने जनता पार्टी को चुना, लेकिन निराशा हाथ लगी. अब यह दल भी टूट चुका है. ज़रूरत है, एक स्थायी सरकार दे सकने वाली पार्टी की, जो थर्ड आल्टरनेटिव दे सके. नेशनल पार्टी वह मंच है जहां समान विचार वाले लोग साथ आ सकते हैं."

इस पार्टी में वी शांताराम, विजय आनंद, आईएस जौहर, जीपी सिप्पी समेत कई फ़िल्मी हस्तियां जुड़ गईं. पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया, रैलियां शुरूं हो गईं, भीड़ जुटने लगी. लेकिन धीरे-धीरे ये बात फैलने लगी कि फ़िल्म उद्योग के लोगों को इसका नुक़सान बाद में उठाना पड़ेगा.

एक-एक कर ज़्यादातर लोगों ने साथ छोड़ दिया. इस तरह देव आनंद का राजनीतिक सपना और पार्टी दोनों ख़त्म हो गई. लेकिन फ़िल्मी हस्तियों और राजनीति का ये पहला और आख़िरी मेल नहीं था. आज़ादी के पहले से ही कलाकारों का भारतीय राजनीति से नाता रहा है.

80 के दशक में ही एक ऐसी राजनीतिक घटना हुई, जिसने फ़िल्मी दुनिया को भी प्रभावित किया. वो थी अक्टूबर, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या. दिसंबर 1984 में चुनाव होने थे. राजीव गांधी ने अपने दोस्त और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और सुनील दत्त से चुनाव लड़ने के लिए कहा.

सुनील दत्त 1984 में चुनाव जीत गए और सांसद बनने के बाद 2005 में मरते दम तक कांग्रेस में ही रहे, भले ही पार्टी से उनका मन मुटाव भी हुआ.

जब सुनील दत्त ने चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया तो दिसंबर 1984 में घर में एक तरफ़ बेटी नम्रता दत्त और कुमार गौरव की शादी की तैयारियां चल रही थीं तो दूसरी ओर चुनाव अभियान की.

सुनील दत्त उन चंद हिंदी फ़िल्मी सितारों में से थे जो केंद्र में मंत्री भी बने और बतौर राजनेता उनकी बहुत इज़्ज़त थी. 2004 में पांचवी बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले सुनील दत्त को खेल और युवा कल्याण मंत्री बनाया गया.

1984 में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का इलाहाबाद से हेमवती नंदन बहुगुणा से चुनाव लड़ना उस समय की सबसे बड़ी ख़बर थी.

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई अपनी किताब 'नेता अभिनेता' में लिखते हैं, "बहुगुणा क़द्दावर नेता थे. वो चुनाव प्रचार में अमिताभ को 'नौसिखिया', और 'नचनिया' बोलते थे. ये जया बच्चन ही थीं जिन्होंने अमिताभ के प्रचार अभियान में जान फूंकी और चुनाव जितवाया."

लेकिन राजनीति ने ऐसी करवट ली कि बोफ़ोर्स घोटाले में नाम आने के बाद सांसद अमिताभ का राजनीति से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी. साथ ही उनकी गांधी परिवार से दूरी भी बढ़ने लगी. उसके बाद से अमिताभ बच्चन ने कभी सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लिया.

अमिताभ बच्चन अकेले सुपरस्टार नहीं थी जिन्होंने राजनीति में किस्मत आज़माई. 1991 के चुनाव के समय अमिताभ फ़िल्मों और राजनीति दोनों से दूर हो चुके थे. ये लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अहम था.

उस समय राजीव गांधी ने राजेश खन्ना से नई दिल्ली में लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए आग्रह किया. ये महज़ संयोग था कि कभी राजेश खन्ना और अमिताभ एक तरह से प्रतिदंद्वी ही थे और बच्चन के बाद कांग्रेस से राजेश खन्ना चुनाव लड़ रहे थे. 1991 के चुनाव में राजेश खन्ना आडवाणी से सिर्फ़ 1,589 वोटों से हारे थे.

1991 की वो फ़ोटो ख़ासी चर्चित है जिसमें राजीव और सोनिया गांधी दिल्ली में निर्माण भवन चुनावी स्टेशन पर राजेश खन्ना को वोट डालने के लिए खड़े हैं. उनके पीछे राजेश खन्ना भी हैं.

राशिद किदवई अपनी किताब में लिखते हैं कि सार्वजनिक जीवन की ये राजीव गांधी की आख़िरी तस्वीर थी . इसके कुछ घंटों बाद एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई और 21 मई को राजेश खन्ना के साथ उनकी ये तस्वीर छपी.

जब 1992 में उपचुनाव हुआ तो राजेश खन्ना फिर नई दिल्ली से लड़े. उन्होंने अपने दोस्त और भाजपा में शामिल हो चुके शत्रुघ्न सिन्हा को हराया. शत्रुघ्न सिन्हा उन शुरुआती हिंदी कलाकारों में से थे जिन्होंने कांग्रेस के बजाय किसी विपक्षी दल के ज़रिए राजनीति में कदम रखा.

इमरजेंसी के दौरान वो जेपी से प्रभावित थे. लेकिन 90 के दशक में उन्होंने भाजपा का दामन थामा. राजेश खन्ना से वो लोकसभा चुनाव हार गए लेकिन आडवाणी-वाजपयी के वो काफ़ी करीब थे.

शत्रुघ्न शायद पहले हिंदी फ़िल्मी सितारे थे जो केंद्रीय मंत्री बने (2003-04) और कई बार सांसद भी. हालांकि मोदी शासन के बाद से शत्रु्घ्न अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़े हुए थे. ये समय का चक्र ही है कि कभी इमरजेंसी का विरोध करने वाले शत्रुघ्न 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए.

No comments:

Post a Comment

独家对话王广发:国内疫情的反弹风险点在哪?

  中新网北京4月20日电(杨雨奇)绥芬河口岸告急 4月中旬, 色情性&肛交集合 全球多个疫苗团队 色情性&肛交集合 宣布取得进展的同时, 色情性&肛交集合 中国宣布第一波疫情已经得到控制, 色情性&肛交集合 中国在全球的新冠研究 色情性&肛交集合 的临床试验立项占比从 色情性...