Wednesday, December 19, 2018

कितनी कामयाब रही राहुल गांधी की कांग्रेस की कप्तानी?: नज़रिया

कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी का पहला साल चुनावी घटनाक्रमों के बीच गुजरा. इससे पहले वो पार्टी के उपाध्यक्ष थे और उनका वो कार्यकाल कमजोर समझा गया था.

बावजूद इसके वो पार्टी के अध्यक्ष बने और पिछले डेढ़ सालों से वो पार्टी प्रमुख की भूमिका निभा रहे हैं.

उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर के दिन अपनी मां सोनिया गांधी की जगह ली थी और अध्यक्ष बनाए गए थे.

उनके एक साल पूरा करने से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी तीन हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने में सफल रही.

राहुल गांधी के लिए इस जीत से बेहतर उपहार कुछ नहीं हो सकता है.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने निर्णायक जीत हासिल की है. पार्टी न सिर्फ़ प्रतिद्वंद्वी पार्टी को हार का स्वाद चखाया, बल्कि वोट शेयर और ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर मजबूत वापसी की है.

यहां कांग्रेस और बीजेपी को प्राप्त वोटों के बीच बड़ा अंतर था और यह जीत चुनावी इतिहास में सबसे बड़ी जीत साबित हुई है.

बीजेपी की हार उल्लेखनीय है क्योंकि पार्टी ने ग़रीबों के लिए शासन के मॉडल का प्रदर्शन किया था और उसकी उपलब्धियां गिनाई थी.

लोकसभा चुनाव में क्या हो सकता है?

ग्रामीण और कृषि संकट के इस समय में इस जीत से आगामी आम चुनावों में क्या हासिल होने के संकेत मिलते हैं: बीजेपी विरोधी वोट पर तेलंगाना के चुनावी परिमाण यह बताते हैं कि ये वोट कांग्रेस के पक्ष में पूरी तरह नहीं हो सकते हैं.

राजस्थान और मध्य प्रदेश की बात करें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुक़ाबला कांटे का था. वोट शेयर में मध्य प्रदेश में बीजेपी कांग्रेस से आगे थी, लेकिन अंततः कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही.

इसके लिए कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों की मदद ली और ये उम्मीद की जा रही है कि वो इन्हें 2019 के लिए साथ लेकर चलेंगे.

2018 की तरफ़ लौटते हैं, कांग्रेस की इस जीत ने आम चुनावों से पहले पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा है और उन सभी शंकाओं को दूर किया है, जो राहुल गांधी के बतौर अध्यक्ष की योग्यता पर सवाल उठाते थे.

यह जीत उनकी नेतृत्व क्षमता की स्वीकार्यता को बढ़ाएगी.

इन तीन राज्यों के 65 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 59 पर काबिज है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों की तरह वोटिंग पैटर्न आगे रहा तो यह उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में 33 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. फिलहाल इन तीनों राज्यों से कांग्रेस के महज 6 सांसद हैं.

फरवरी में भी जीते थे कांग्रेसी
विधानसभा चुनावों में इस जीत ने दूसरे दलों के उन सवालों पर भी विराम लगा दिया है कि 2019 में बीजेपी विरोध गठबंधन की धुरी क्या होगी.

हाल ही में डीएमके के एमके स्टालिन और एनसीपी के शरद पवार ने राहुल के समर्थन में आवाज़ उठाई है. एमके स्टालिन ने राहुल गांधी को विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है.

पिछले एक साल में कांग्रेस गुजरात जैसे राज्य में अपनी सीट और वोट शेयर बढ़ाने में सफल रही है. कर्नाटक में भी वो सरकार में है. ये सबकुछ राहुल गांधी के नेतृत्व में हुआ है.

इस साल फरवरी में राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. ये चुनाव अलवर और अजमेर में हुए थे.

लेकिन दिसंबर की जीत इन सभी जीतों से कई मायनों में अलग है.

साल 2013 के दिसंबर में पार्टी जिस तरह से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में सत्ता से हाथ गंवाई थी, वो पार्टी को काफ़ी नीचे ले गई.

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